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Showing posts from December, 2018

प्रेरणादायक हिन्दी अनमोल वचन

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           1. श्रेष्ठ पुरूष दूसरे पापाचारी प्राणियों के पाप को नहीं ग्रहण करता , उन्हें अपराधी मानकर उनसे बदला लेना नहीं चाहता । इस उत्तम सदाचार की रक्षा करनी चाहिए , क्योंकि सदाचार ही सत्पुरुषों का आभूषण है । 2. उत्कृष्टता का दृष्टिकोण ही जीवन को सुरक्षित एवं सुविकसित बनाने का एकमात्र उपाय है । 3. जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट होता है । 4. जो थोड़े से संतुष्ट रहते हैं , उन्हें सासांरिक वासनाये नहीं सताती । जो समय पर सीमित मात्रा में स्वास्थ्यानुकूल भोजन करते हैं उन्हें रोग - शोक नहीं घेरते । 5. त्याग का आनंद स्वर्ग से बढ़कर है । 6. पतंगे हवा के विपरीत सबसे अधिक ऊंचाई छूती हैं , उसके साथ नहीं ।। 7. दूसरों के प्रति धोखा , आक्रमण , हिंसा , दुर्व्यवहार , द्वेष आदि अनेक प्रकार के अपराध लोग करते हैं । अपने आप के प्रति वैसा ही अपराध आलस्य है । इससे अपना जीवन नष्ट होता है । 8. एक आईना ...

आदर्श वाक्य in Hindi

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                   1. जो मनुष्य दूसरों को आघात पहुंचाते हैं वे वास्तव में अपने आप को आघात पहुंचाते हैं । 2. धर्म के बिना नीति विधवा है और नीति के बिना धर्म विधुर है ।अतः धर्म और राजनीति दोनों साथ साथ होनी चाहिए , तभी शासन बढ़िया होता है । 3. स्त्री जाति का आदर करना चाहिए । 4. अन्तरात्मा में बैठा हुआ ईश्वर उचित और अनुचित की निरंतर प्रेरणा देता रहता है । जो उसे सुनेगा - समझेगा , उसे सीधे रास्ते चलने में कठिनाइयां नहीं होगी । 5.  नैतिक और पवित्र जीवन यापन किये बिना आध्यात्मिक होना या प्रगति करना सम्भव नहीं है । 6. सच्चा ज्ञान वह है जो हमारे गुण , कर्म , स्वभाव की त्रुटियाँ सुझाने , अच्छाइयाँ बढ़ाने एवम आत्म निर्माण की प्रेरणा प्रस्तुत करता है । 7. दुसरो के द्वारा तुम अपना आदर चाहते हो तो पहले दूसरों का आदर करो । 8. स्वयं को कभी कमजोर साबित मत होने दो क्योंकि डूबते सूरज को देखकर लोग घर के दरवाजे बंद करने लगते । 9. ग्रन्थ , प...

जीवनोपयोगी सुविचार

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1.  पुरुष से पुरुषोत्तम , नर से नारायण का अभ्यास ही उपासना है। 2.  मानसिक दक्षता का पूरा पूरा उपयोग न करनें की प्रवृत्ति का नाम ही प्रमाद है । 3. निंद्रा , तन्द्रा , भय , क्रोध , आलस्य और दीर्घसूत्रता यह छह दोष ऐश्वर्य चाहने वाले को त्याग देने चाहिए । 4. जो आनंद प्रयत्न में है , भावना में है , आकुलता में है वह मिलन में कहां है । 5. प्रेम , आत्मियता और एकता में आनंद सन्निहित है । 6. दुराग्रह ठाने हुए लोगों के लिए उपदेश करना व्यर्थ ही जाता है । 7. थोड़ी सी पुस्तकें पढ़कर ज्ञान बढ़ा लेना कोई बड़ी बात नहीं है , शिक्षा का उद्देश्य तो मानव को परिपूर्ण बनाना है । 8. आत्म ज्ञान सभी ज्ञानों की जननी है । 9.  अहंकार आध्यात्मिक जीवन की एक महान बाधा है । संतों के संग में रहने पर ही हमें अनुभव होगा कि हम कितने अहंकारी है । साधु अहंकार की महान औषधि है । 10.  घृणा उतनी ही बुरी है , जितनी आसक्ति । क्रोध उतना ही बुरा है , जितना काम । इस सम्बंध में कभी भी गलती ना करो । 11. सेव...