प्रेरणादायक हिंदी सुविचार

आदर्श व्यक्तित्व ही किसी देश या समाज की सच्ची समृद्धि माने जाते हैं । जमीन में गड़े धन की चौकसी करने वाले सांपो की तरह तिजोरी में जमा नोटों की रखवाली करने वाले कंजूस तो गली कूंचों में भरे पड़े हैं । ऐसे लोगों से कोई राष्ट्र न तो महान बनता है न शक्तिशाली । राष्ट्र प्रगति के एक मात्र उपकरण प्रतिभाशाली , चरित्रवान  व्यक्तित्व ही होता है । हमें युग निर्माण के लिए ऐसी ही आत्माएं चाहिए ।




चरित्र ही वह सतत उद्दीप्त उत्प्रेरणा है जो बड़े से बड़े प्रलोभनों एवं झंझावतों के बीच भी प्रदीप्त रहती है ।






प्रायः दूसरों का विश्लेषण करना  और उनके व्यक्तित्व के अनुसार वर्गीकृत करना सरल होता है । सच्ची ईमानदारी के साथ उसी विश्लेषण के प्रकार में स्वयं को देखना प्रायः कठिन मालूम पड़ता है।





सबसे बड़ा दीन दुर्बल वह है जिसका अपने ऊपर नियंत्रण नहीं हो ।





जीवन में किन्ही ऊंचे आदर्शों की स्थापना करके उनके अनुसार अपने को न चलाना सबसे बड़ी आत्म - प्रवंचना है ।




बड़ा आदमी बनने की महत्वाकांक्षा वाले व्यक्ति इस संसार अत्यधिक हानिकारक सिद्ध होते हैं ।





जो समय चिन्ता करते कटा वह समझो कूड़ेदान में डाल दिया। जो चिंतन में लगा समझो कि वह ब्याज सहित लौटाने वाली बैंक में जमा हो गया ।





कई व्यक्ति अपने परिवार को सुसंस्कृत तो  बनाना चाहते हैं पर इसके लिए केवल अपशब्द कहना , क्रोधित रहना , निंदा करना , गाली - गलौज या मारपीट करना जैसे बेहूदे तरीके ही उनके पास होते हैं ।







कर्मभूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है ।
रब सिर्फ लकीरें देता है रंग हमको भरना पड़ता है ।






खोया हुआ धन पाया जा सकता है , पर खोया हुआ समय नहीं ।




मेरा धर्म ठीक है और दूसरे का गलत यह मत अच्छा नहीं है । ईश्वर एक ही है दो नहीं । उनकी भिन्न - भिन्न व्यक्ति भिन्न- भिन्न नामों से पुकारते हैं । कोई कहता है गॉड तो कोई अल्लाह , कोई कहता है कृष्ण , कोई शिव तो कोई ब्रह्मा ।




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