SCHOOL ACTIVITIES
सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में यों तो विद्यालय का हर क्षण अति महत्त्वपूर्ण होता है, लेकिन ‘मॉर्निंग असेंबली’ यानी प्रार्थना सभा का वक्त इसलिए अधिक महत्त्व रखता है, क्योंकि इस समय समूचे विद्यालय को एक नजर में समेटा जा सकता है। प्रार्थना सभा में सभी शिक्षक-शिक्षार्थी एक साथ उपस्थित होते हैं और मिल कर गतिविधियों में भाग लेते हैं। सभी कक्षाओं के बच्चे एक साथ बैठते हैं और बच्चों को बड़े समूह के सामने बोलने का मौका मिलता है। जिससे बड़े समूह में एक साथ ज्यादा बच्चों को सीखने का मौका मिलता है। साथ ही यह विद्यालय संबंधित निर्णय, सूचना, आदेश, निर्देश से सबको अवगत कराने का सर्वोत्तम समय होता है।
अगर हम प्रार्थना सभा की गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के अंदर अनुशासन, सम्मान, सहयोग, ईमानदारी, न्याय और संवेदनशीलता जैसे मूल्य विकसित करना चाहते हैं तो जरूरी है कि वे मूल्य शिक्षकों के व्यवहार में आए। दरअसल, मूल्य केवल प्रार्थना, मंत्र और उपदेशों से विकसित नहीं किए जा सकते हैं। एक शिक्षक का फर्ज बनता है कि वह ‘मूल्यों’ को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, फिर बच्चों के दैनिक व्यवहार में लाने का प्रयास करें। जैसा कि विद्यालय एक राजकीय संस्था होने के साथ-साथ अपने आप में एक सामाजिक संस्था है, क्योंकि इस संस्था में बच्चे और वयस्क खास भूमिकाओं में रह कर एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं। यह पूरा संवाद कुछ नियमों और व्यवस्थाओं से बंधा होता है।
हमारे विद्यालय की दैनिक प्रार्थना सभा के आयोजन का प्रारूप o ईश वंदना o देशभक्ति गान o प्रतिज्ञा o दैनिक समाचार o आज का विचार o सामान्य ज्ञान (छात्रों द्वारा दो या तीन प्रश्न) o वैकल्पिक क्रियाकलाप (साप्ताहिक कैलेंडर के अनुसार) o राष्ट्रीय गान o छात्रों के स्वच्छता की जांच o अपनी-अपनी कक्षाओं के लिए पंक्तिबद्ध प्रस्थान साप्ताहिक कैलेंडर का प्रारूप सोमवार मंगलवार बुधवार गुरूवार शुक्रवार शनिवार प्रेरक प्रसंग (अध्यापक / अध्यापिका द्वारा) कहानी (बच्चों द्वारा) प्रेरक प्रसंग (समुदाय के सदस्य / सदस्या द्वारा) कविता (बच्चों द्वारा) कहानी (अध्यापक / अध्यापिका द्वारा) सामूहिक व्यायाम प्रार्थना सभा के सुचारु रुप से संचालन हेतु विद्यालय की परिस्थितियों के अनुरूप वहाँ के छात्रों को सदन में विभाजित करते हुए उनसे सहयोग लिया जा सकता है, क्योंकि किसी भी विद्यालय में शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर क्रियाकलापों के सफल संचालन हेतु छात्र-छात्राओं का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरस्वती आदर्श विद्या मन्दिर भानगढ़ में ज्ञान की समझ विकसित करने, कक्षा कक्ष प्रबंधन, प्रभावी छात्र शिक्षक संवाद, एवं निर्देशों की उत्तमता; संरचित अध्यापन एवं सीखने पर ज़ोर देने वाली गतिविधियों के दृष्टिकोण से इन कार्यविधियों का सर्वाधिक महत्व है। इसके लिये छात्रों एवं अध्यापकों की कक्षा कक्ष में नियमित उपस्थिति पूर्वप्रतिबंध है। इस विद्यालय में अध्यापक अध्यापिका एवम विद्यार्थी सभी का तालमेल सुव्यवस्थित है । यहां का प्रबंधन भी विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए हर सम्भव प्रयास करता है।
सरस्वती आदर्श विद्या मन्दिर भानगढ़ के प्रिंसिपल श्री प्रतापसिंह सहारण विद्यार्थियों के साथ समाजोपयोगी उत्पादन कार्य शिविर के समापन पर छायाचित्र बनवाते हुए।
सरस्वती आदर्श विद्या मन्दिर भानगढ़ में कक्षा नर्सरी में प्रत्येक बालक बालिका का विशेष ध्यान रखा जाता है जैसे कि उसे class work मिल रहा है या नहीं । उसे home work मिला या नहीं । प्रत्येक बच्चे का class work विद्यालय में ही पूरा करवाया जाता है और home work विद्यार्थी अपने घर से कर के लाता है । नर्सरी के बच्चों के लिए दृश्य और श्रव्य के आधार पर शिक्षा दी जाती है । नर्सरी के विद्यार्थियों को वाचन भी करवाया जाता है ।
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