1. जो मनुष्य दूसरों को आघात पहुंचाते हैं वे वास्तव में अपने आप को आघात पहुंचाते हैं । 2. धर्म के बिना नीति विधवा है और नीति के बिना धर्म विधुर है ।अतः धर्म और राजनीति दोनों साथ साथ होनी चाहिए , तभी शासन बढ़िया होता है । 3. स्त्री जाति का आदर करना चाहिए । 4. अन्तरात्मा में बैठा हुआ ईश्वर उचित और अनुचित की निरंतर प्रेरणा देता रहता है । जो उसे सुनेगा - समझेगा , उसे सीधे रास्ते चलने में कठिनाइयां नहीं होगी । 5. नैतिक और पवित्र जीवन यापन किये बिना आध्यात्मिक होना या प्रगति करना सम्भव नहीं है । 6. सच्चा ज्ञान वह है जो हमारे गुण , कर्म , स्वभाव की त्रुटियाँ सुझाने , अच्छाइयाँ बढ़ाने एवम आत्म निर्माण की प्रेरणा प्रस्तुत करता है । 7. दुसरो के द्वारा तुम अपना आदर चाहते हो तो पहले दूसरों का आदर करो । 8. स्वयं को कभी कमजोर साबित मत होने दो क्योंकि डूबते सूरज को देखकर लोग घर के दरवाजे बंद करने लगते । 9. ग्रन्थ , प...
हमेशा कामयाब व्यक्ति सही ढंग से अपने लक्ष्य तक पहुँचता है, चाहे उसके रास्ते में कितनी ही कठिनाइयाँ क्यों न आएं। जिस दिन आप बुरे विचारों के ऊपर अच्छे विचारों को रख देंगे, जिन्दगी खुदबखुद और बेहतरीन हो जाएगी। जो लोग सफल होते हैं, वो सपने जरुर देखते हैं, लेकिन उन्हें सपने सोते वक्त नहीं आते बल्कि मेहनत करते वक्त आते हैं। शेर हमेशा पीछे होकर छलांग लगाता है, वैसे ही जिन्दगी भी हमें पीछे करती है ताकि हम और आगे बढ़ सकें। व्यक्ति जिस नज़र से दुनिया को देखता है, दुनिया वैसे ही बनके उसको दिखाती है। हमारा जीवन सिर्फ ये सोचने में चला जाता है, कि हमारे पास क्या नही है, जबकि जो हमारे पास होता है हम उसका लाभ नही उठा पाते। अपना लक्ष्य सिर्फ एक विचार को बनाओ और उस लक्ष्य के पीछे पड़ जाओ, फिर अवश्य ही सफलता आपके कदम चूमेगी। हर एक कठिन कार्य के पीछे एक पुरस्कार छुपा हुआ होता है। इंसान के मन में चाह हो, तो राह अँधेरे में भी दिख जाती है।
1. पुरुष से पुरुषोत्तम , नर से नारायण का अभ्यास ही उपासना है। 2. मानसिक दक्षता का पूरा पूरा उपयोग न करनें की प्रवृत्ति का नाम ही प्रमाद है । 3. निंद्रा , तन्द्रा , भय , क्रोध , आलस्य और दीर्घसूत्रता यह छह दोष ऐश्वर्य चाहने वाले को त्याग देने चाहिए । 4. जो आनंद प्रयत्न में है , भावना में है , आकुलता में है वह मिलन में कहां है । 5. प्रेम , आत्मियता और एकता में आनंद सन्निहित है । 6. दुराग्रह ठाने हुए लोगों के लिए उपदेश करना व्यर्थ ही जाता है । 7. थोड़ी सी पुस्तकें पढ़कर ज्ञान बढ़ा लेना कोई बड़ी बात नहीं है , शिक्षा का उद्देश्य तो मानव को परिपूर्ण बनाना है । 8. आत्म ज्ञान सभी ज्ञानों की जननी है । 9. अहंकार आध्यात्मिक जीवन की एक महान बाधा है । संतों के संग में रहने पर ही हमें अनुभव होगा कि हम कितने अहंकारी है । साधु अहंकार की महान औषधि है । 10. घृणा उतनी ही बुरी है , जितनी आसक्ति । क्रोध उतना ही बुरा है , जितना काम । इस सम्बंध में कभी भी गलती ना करो । 11. सेव...
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