सफल जीवन के लिए अनमोल वचन
लोग क्या कहतें हैं इस आधार पर यदि सुखी , दुखी होने की आदत डालेंगे तो सदैव दुख भोगना पड़ेगा , क्योंकि यह संभव नहीं कि सब लोग आपकी मनमर्जी के बन जाएं और वैसे ही आचरण करे , जैसे कि आप चाहते हैं । अपना धर्म , अपनी संस्कृति अथवा अपनी सभ्यता छोड़कर दूसरों की नकल करने से कल्याण की संभावनाए समाप्त हो जाती है । कुविचारों और दुर्भावनाओं के समाधान के लिए स्वाध्याय , सत्संग , मनन और चिंतन यह चार ही उपाय है । अपनी सीमा और शक्ति से परे की आकांक्षाएं बना लेना बड़ी भारी भूल है । ऐसे लोगों की आकांक्षाएं कभी पूरी नहीं होती । दोष तो अपना होता है पर अभिमान के कारण दूसरों में दोष दिखता है, नारद जी भी इसे नहीं समझ पाए , जब भगवान ने माया खींची तब समझ पाए । सत्य व न्याय की लड़ाई में भले ही मारे जाओ पर कायर होकर पीठ दिखाकर नहीं भागना चाहिए । जो लोग दूसरों को पढ़ते हैं वे बुद्धिमान होते हैं लेकिन जो खुद को पढ़ते हैं वे प्रबुद्ध होते हैं । चलते हुए व्यक्ति का कभी असावधानी वस पांव फिसलकर पतन हो जाये...